पुरातात्विक | राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्त्रोत
राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्त्रोत
जब कोई राजा या महाराजा किसी भी अधिकारी, दरबारी, साधु-संत से खुश होकर उन्हें भूमि दान करता था। तो उन्हें साक्ष्य के रूप में ताम्रपत्र दिया जाता था।सातवाहन शासकों ने ब्राह्मण व बौद्ध भिक्षुओं को भूमि दान देने की प्रथा प्रारंभ की।
1. चीकली ताम्रपत्र ( 1483 ई. )
इसमें किसानों द्वारा कर वसूलने का वर्णन मिलता है।
2. पुर का ताम्रपत्र ( 1535 ई. )
हाडी रानी कर्मावती द्वारा जौहर करते समय जो भूमि दान की थी उसका वर्णन मिलता है।
3. आहड़ ताम्रपत्र ( 1206 ई. )
गुजरात के शासक मूलराज से भीमदेव द्वितीय् तक वंशावली।(सौंलकी राजवंश)
4. खेरादा ताम्रपत्र ( 1437 ई. )
एकलिंग जी में राणा कुंभा द्वारा प्रायश्चित दान का वर्णन मिलता है। (खेतों) उस समय की मुद्रा एवं धार्मिक स्थिति का पता चलता है।
5. ब्रोंच गुर्जर ताम्रपत्र ( 978 ई. )
गुर्जर कबीला का सप्तसिंधु से गंगा कावेरी तक अभियान इसी ताम्रपत्र के आधार पर राजपूत को यू ए ची जाति का माना – कनिंघम ने।